अमेरिका ने चीन का तनाव बढ़ाने वाला काम कर दिया है और अब दोनों ही देशों के बीच रिश्ते और बिगड़ सकते हैं. अमेरिकी सेना ने ऑस्ट्रेलिया में चल रहे टैलिसमैन सेबर सैन्य अभ्यास के दौरान अपने मिड-रेंज कैपेबिलिटी वाले टाइफून मिसाइल सिस्टम का टेस्ट किया है. इस लाइव फायरिंग टेस्ट की वजह से चीन की बेचैनी बढ़ सकती है. अहम बात यह भी है कि यह अमेरिका से बाहर किया गया पहला टेस्ट है. यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में टाइफून की दूसरी तैनाती है. इससे पहले फिलीपींस में भी तैनाती हो चुकी है.
ऑस्ट्रेलिया में चल रहा टैलिसमैन सेबर सैन्य अभ्यास काफी बड़े पैमाने पर आयोजित हो रहा है. 15 जुलाई से शुरू हुई इस वॉर प्रैक्टिस में भारत समेत कई बड़े देश शामिल हैं. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने इस दौरान टाइफून का लाइव टेस्ट किया है. यह पहली बार है जब जहाज डुबा देने वाली इस घातक मिसाइल सिस्टम का टेस्ट विदेशी धरती पर किया गया है. अमेरिकी सेना ने टेस्ट को सफल करार दिया है.
अमेरिका ने बढ़ाई चीन की टेंशन
अमेरिका का मिसाइल टेस्ट चीन के लिए सिरदर्द बन सकता है. चीनी पीपुल्स लिबरेशन नेवी का इन दिनों इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आक्रामक रवैया देखने को मिला है. यहां कुछ महीनों पहले तनाव की स्थिति थी. दरअसल चीन ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को किसी तरह की सूचना दिए बिना लाइव फायर टेस्ट किया था. इससे कयास लगाया गया कि चीन अपनी समुद्री सीमा के परे क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिका के लिए क्यों खास है टाइफून
अमेरिका टाइफून को स्थाई रूप से तैनात करने की तैयारी में है. इसकी मारक क्षमता इतनी है कि यह दक्षिण चीन सागर में चीनी शहरों तक पहुंच सकती है. इसे सबसे पहले फिलीपींस में तैनात किया गया था और अब ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट भी कर लिया गया. अहम बात यह भी है कि टाइफून लोड होने से पहले 16 मिसाइलों का ग्रुप दाग देती है.