Non Veg Milk: 1 अगस्त 2025 से नए टैरिफ लागू होने से पहले भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील होने की उम्मीद जताई जा रही है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दिए एक बयान में कहा, हम एक और ट्रेड डील करने वाले हैं, शायद वह भारत के साथ हो. हालांकि, ‘नॉन-वेज मिल्क’ को लेकर दोनों देशों के बीच बात अटकी हुई है.
अमेरिका की भारत से यह है डिमांड
भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. अमेरिका की मांग है कि भारत अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को अमेरिका के लिए खोल दे. अमेरिका चाहता है कि उसके डेयरी प्रोडक्ट्स को भारत में आने की इजाजत दी जाए और लोग इसे अधिक से अधिक खरीदें. लेकिन भारत ‘नॉन वेज मिल्क’ को लेकर ऐसा नहीं करना चाहता.
अमेरिका में मिलता है ‘नॉन वेज मिल्क’
सामान्य तौर पर दूध को शाकाहारी माना जाता है, लेकिन अमेरिका में गायों को जानवरों के मांस या खून वाला चारा खिलाया जाता है. सिएटल पोस्ट-इंटेलिजेंसर की 2004 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां गायों को ऐसा चारा खिलाया जाता है, जिसमें सूअर, मछली, मुर्गी, घोड़े, यहां तक कि बिल्लियों या कुत्तों के मांस वगैरह मिले रहते हैं. मवेशियों को प्रोटीन के लिए घोड़े और सुअर का खून दिया जाता है. मोटे होने के लिए जानवरों की चर्बी भी शामिल रहती है. इसे देखते हुए भारत ने सांस्कृतिक चिंताओं का हवाला देते हुए अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स के भारत में आयात होने की इजाजत नहीं दी. भारत ने इस पर स्पष्ट रूख अपनाते हुए कहा है कि नागरिकाें की सुरक्षा को लेकर कोई मोलभाव नहीं किया जा सकता.
अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स के आयात पर नुकसान
भारत और अमेरिका दोनों ही देश डेयरी इंडस्ट्री पर काफी ज्यादा निर्भर है, जो 1.4 बिलियन लोगों का पेट भरता है और 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को नौकरी देता है. अगर भारत अपना डेयरी सेक्टर अमेरिका के लिए खोल देता है, तो इससे छोटे किसानों को भारी नुकसान होगा.
स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स के भारत आने से अपने देश के दुग्ध उत्पादों के दाम में 15 परसेंट तक की कमी आएगी. इससे सालाना किसानों को 1.03 लाख करोड़ का नुकसान होगा. यह भी एक वजह है कि भारत अपने डेयरी सेक्टर को लेकर रक्षात्मक रूख अपनाए हुए हैं. अमेरिका ने इसे भारत की तरफ से गैर-जरूरी ट्रेड बैरियर्स कहा है.
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