Shloka Mehta Ambani: उद्योगपति आकाश अंबानी की पत्नी श्लोका मेहता अंबानी ने हाल ही में ‘मासूम मीनावाला’ के शो पर अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात की है. श्लोका मेहता अंबानी एक परोपकारी और गैर-लाभकारी मंच कनेक्टफॉर की सह-संस्थापक भी हैं. शो पर उन्होंने बताया कि मां बनने के बाद उनकी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रतिबद्धता और गहरी हो गई है.
अंबानी परिवार ने हर कदम पर दिया साथ- श्लोका
मासूम मीनावाला शो में श्लोका ने मां और एक मिशन-प्रधान संगठन चलाने के बीच संतुलन के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि कैसे उनके ससुराल वालों, खासकर अंबानी परिवार ने उनका हर कदम पर साथ दिया.
कनेक्टफॉर का सफर और उपलब्धियां
श्लोका ने अपनी सह-संस्थापक मनीति शाह के साथ मिलकर कनेक्टफॉर को बनाया, जो अब तक 1 लाख से ज्यादा स्वयंसेवकों को 1,000 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) से जोड़ चुका है. इस काम से सामाजिक क्षेत्र में लगभग 21 करोड़ रुपये की बचत हुई है. श्लोका ने कहा, “मेरा बेटा अभी दो साल का है, लेकिन उसे पता है कि मम्मी ऑफिस जाती हैं. यह जरूरी है कि वह हमें काम करते देखे और समझे कि हम कुछ अच्छा करने की कोशिश कर रहे हैं.”
परिवार का मिला समर्थन
श्लोका ने अपने ससुराल, खासकर पति आकाश अंबानी और उनके परिवार की तारीफ की. उन्होंने कहा, “हमारे माता-पिता और पति को हम पर बहुत गर्व है. वे हमारी उपलब्धियों को हमसे बेहतर तरीके से बताते हैं.” इस समर्थन ने श्लोका को कनेक्टफॉर को आगे बढ़ाने, मां बनने और अपने लक्ष्यों को आत्मविश्वास के साथ पूरा करने में मदद की.
शिक्षा और सामाजिक कार्यों में रुचि
श्लोका ने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से मानव विज्ञान (एंथ्रोपोलॉजी) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) से कानून की पढ़ाई की है. उनकी थीसिस और शोध सामाजिक क्षेत्र से जुड़े विषयों पर थे, जो उनकी परोपकार और जमीनी मुद्दों में रुचि को दर्शाता है. श्लोका का मानना है कि उद्देश्य की भावना घर से शुरू होती है. उन्होंने कहा, “चाहे आप गृहिणी हों, उद्यमी हों या कॉर्पोरेट नौकरी में हों, हर काम मूल्यवान है. इसे घंटों से नहीं मापा जाता.”
क्या है कनेक्टफॉर का मिशन?
श्लोका और मनीति ने कनेक्टफॉर को गैर-लाभकारी क्षेत्र में कॉर्पोरेट स्तर की पेशेवरता लाने के लिए शुरू किया. इसका मकसद स्वयंसेवकों को कुशलता से NGOs से जोड़ना और मानवीय रिश्तों (“कम्युनिटी कैपिटल”) के जरिए लंबे समय तक चलने वाला सामाजिक प्रभाव पैदा करना है. श्लोका ने बताया, “हमने खुद NGOs से संपर्क किया, उनके दफ्तरों का दौरा किया और स्वयंसेवकों को जोड़ने के लिए गूगल फॉर्म बनाए.”
शादी और मां बनने के बावजूद श्लोका और मनीति ने कनेक्टफॉर को कभी रुकने नहीं दिया. श्लोका ने गर्व से कहा, “पिछले 10 सालों में एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ जब कनेक्टफॉर बंद हुआ हो.” श्लोका ने कहा, “मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा जाने कि उसकी मां किसी चीज के प्रति जुनूनी थी और उसने उसे पूरा किया. मैं चाहती हूं कि वह भी ऐसा ही करे.”
कनेक्टफॉर को लोगों तक पहुंचाने की जरूरत
पहले श्लोका और मनीति ने कनेक्टफॉर के बारे में ज्यादा बात नहीं की, लेकिन अब जब इसका दायरा बढ़ रहा है और लोग स्वयंसेवा में रुचि ले रहे हैं तो उन्हें लगा कि अब समय है कि लोग उनके काम को जानें. श्लोका ने कहा, “अब लोग समाज को कुछ देना चाहते हैं. इसलिए जरूरी है कि लोग जानें कि हम क्या करते हैं.”
कनेक्टफॉर आज एक मजबूत मंच है जो स्वयंसेवकों और NGOs को जोड़कर समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहा है और श्लोका की यह कहानी प्रेरणा देती है कि जुनून और समर्थन के साथ हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.