दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक माने जाने वाले 114 वर्षीय फौजा सिंह को रविवार को उनके पैतृक गांव बीआस पिंड (जालंधर) में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. देशभर से लोग इस अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. बुज़ुर्गों से लेकर युवाओं तक हर कोई उन्हें श्रद्धा से निहार रहा था, जैसे एक युग को विदाई दी जा रही है.
14 जुलाई को सुबह की सैर के दौरान एक अज्ञात वाहन ने फौजा सिंह को टक्कर मार दी थी. हादसे के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. पुलिस के अनुसार, आरोपी वाहन चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की जांच जारी है.
लाखों लोगों के लिए प्रेरणा थे
फौजा सिंह के बेटे सुखजिंदर सिंह ने अपने पिता को याद करते हुए कहा, “वो सिर्फ मेरे पिता नहीं थे, लाखों लोगों के लिए प्रेरणा थे. उन्होंने हमें सिखाया कि उम्र कभी भी मंजिल तय नहीं करती.” उन्होने कहा, “मैं मार्च में मिलने आया था, उन्होंने साथ चलने को बोला था, उनकी बहुत याद आती है.”
सुखजिंदर ने बताया कि उन्होंने 89 की उम्र में दौड़ना शुरू किया और अपने अंतिम समय तक दौड़ते रहे. हम गर्व के साथ उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं, लेकिन दिल भारी है.”
सुखजिंदर ने बताया कि उनके पिता सुबह की सैर को कभी नहीं छोड़ते थे, चाहे मौसम कैसा भी हो. “वो कहते थे कि शरीर को चलाते रहो, नहीं तो वो खुद को रोक लेगा.”
फौजा सिंह ने अपने जीवन में कई कीर्तिमान बनाए. उन्होंने टोरंटो, लंदन, न्यूयॉर्क समेत कई अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भाग लिया. 2012 में वे ओलंपिक टॉर्च रिले का हिस्सा बने. उन्हें ‘टर्बनड टॉरनैडो’ के नाम से जाना जाता था.
श्रद्धांजलि सभा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया पर फौजा सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
एक सादा जीवन, संयमित खानपान और मजबूत आत्मबल के प्रतीक फौजा सिंह के जीवन ने यह साबित किया कि जोश उम्र का मोहताज नहीं होता. आज जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा, तो सिर्फ एक धावक नहीं, बल्कि एक संपूर्ण प्रेरणा की यात्रा समाप्त हुई.