पटना के शास्त्री नगर थाना क्षेत्र के पारस हॉस्पिटल में पांच की संख्या में अपराधियों ने घुसकर एक कैदी की गोली मारकर हत्या कर दी. उसका नाम चंदन मिश्रा था, जो पटना के बेऊर जेल से पैरोल पर इलाज कराने के लिए पारस में आया था. उसकी हत्या के बाद परिजनों ने अस्पताल और प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाया है.
2024 से वह पटना के बेऊर जेल में था बंद
गुरुवार को पटना के पॉश इलाके पारस अस्पताल में इलाजरत चंदन मिश्रा बक्सर का रहने वाला था. ये बक्सर के मंटू मिश्रा का इकलौता पुत्र था, इसकी एक बहन भी है. उसके ऊपर लगभग एक दर्जन हत्या के मामले दर्ज हैं. उसकी हथियारबंद अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. जानकारी के अनुसार 2024 से वह पटना के बेऊर जेल में बंद था.
बताया जा रहा है कि सुबह-सुबह पांच की संख्या में अपराधी पारस हॉस्पिटल में पहुंचे और उसे गोली मार दी. चंदन मिश्रा का कमरा नंबर 209 में इलाज चल रहा था. उस वक्त अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया. वहीं इस पूरे मामले को लेकर चंदन मिश्रा के चचेरा भाई हरेंद्र मिश्रा ने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले पता चला कि चंदन मिश्रा को गोली मार दी गई है.
चचेरे भाई ने कहा कि इस तरह पॉश इलाका में जहां बड़े-बड़े नेता लोगों का इलाज होता है, पुलिस प्रशासन मौजूद रहता है हत्या कैसे हो गई. राजधानी में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है, जो पहले लालू का जंगलराज था वह जंगलराज अभी भी है. इस घटना में अस्पताल के लोगों की भी मिलीभगत है. शक के दायरे में प्रशासन भी है. उन्होंने यह भी कहा कि हम मांग करते हैं कि जो इस घटना में शामिल है, उन्हें सजा दी जाए.
वहीं पटना एसएसपी कार्तिकेय के शर्मा के मुताबिक चंदन बक्सर का दुर्दांत अपराधी था, इस पर दर्जनों से ज्यादा हत्या का केस चल रहा था. बक्सर में चंदन-शेरो गैंग चलता था. उसी गैंग का यह लीडर था. गैंगवार में गोली मारी गई है. जो विरोधी गुट वाले हैं, उन्होंने घटना को अंजाम दिया है. जिस तरह से पैरोल खत्म होने से ठीक 24 घंटे पहले उसकी हत्या कर दी गई, उससे जेल या अस्पताल से किसी की मुखबिरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
क्या है चंदन-शेरू की पूरी कहानी?
दरअसल चंदन मिश्रा और शेरू सिंह अच्छे दोस्त थे. एक बार क्रिकेट खेलने के दौरान इनकी किसी से मारपीट हुई और ये जेल चले गए. 2009 में जेल से आने के बाद भी इन्होंने कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया और फिर एक गैंग के रूप में जाने जाने लगे. एक समय ऐसा था जब चंदन-शेरो शाहाबाद में आतंक का प्रयाय बन चुके थे. शेरू सिंह बक्सर जिले के दुल्लहपुर गांव का रहने वाला है, जबकि चंदन औद्योगिक थाना क्षेत्र का रहने वाला था. दोनों ही पहले बक्सर और फिर पटना के बेऊर जेल में बंद थे.
बक्सर में 2011 में हुए दो चर्चित हत्याकांडों में इनका नाम आया था. पहली हत्या 20 अप्रैल को भरत राय की हुई थी. उसके बाद 26 जुलाई को शिवजी खरवार की हुई थी. कुख्यात अपराधी चंदन ने चूना व्यापारी राजेंद्र केसरी की रंगदारी न देने पर हत्या कर दी थी. जेल क्लर्क हैदर अली हत्याकांड में भी चंदन मिश्रा का नाम था. इसी मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई थी. इन हत्याओं के बाद चंदन मिश्रा बिहार के कुख्यात अपराधियों की सूची में शामिल हो गया था.
बताया जाता है कि शेरू सिंह चंदन मिश्रा के काफी करीबी था, लेकिन बाद के दिनों में दोनों में दूरियां बढ़ती गईं. तनिष्क डकैती और बंगाल गोल्ड डकैती के बाद शेरू सिंह की पहचान एक अलग गिरोह के मुखिया के रूप में हुई. ऐसी आशंका है कि चंदन मिश्रा की हत्या शेरू सिंह के जरिए रची गई गैंगवार की साजिश का हिस्सा है? पुलिस सूत्रों के मुताबिक, वर्चस्व की लड़ाई को लेकर दोनों अपराधी की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई थी. पहले दोनों एक ही गिरोह से जुड़े थे और बेऊर जेल में भी साथ ही पहुंचे थे. पुलिस इसी दिशा में जांच को आगे बढ़ा रही है.
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