बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से देश के अंदर और बाहर दोनों तरफ सरकार का रुख पूरी तरह बदल गया है. मोहम्मद यूनुस सरकार में बांग्लादेश ने घर में कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा दिया है और दुनिया में उसकी जिन देशों से करीबियां बढ़ रही हैं, उसने भारत के लिए सीमा पर चिंता बढ़ा दी है. बांग्लादेशी एक्सपर्ट ने भी भारत को इस खतरे के लिए आगाह किया है.
बांग्लादेश के मशहूर पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने भारत को आगाह करते हुए कहा है कि बांग्लादेश की स्थिति इस वक्त काफी गंभीर है और भारत को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी इस ओर दिलाना चाहिए क्योंकि मोहम्मद यूनुस अगर इसी रास्ते पर आगे बढ़ते रहे तो बांग्लादेश एक इस्लामी देश बन सकता है. इस तरह पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलेगी और खासतौर पर भारत इससे प्रभावित होगा क्योंकि दोनों देश एक साझा संस्कृति रखते हैं.
यूनुस ने बांग्लादेश में बड़े पदों पर नियुक्त किए 17 हजार इस्लामी कट्टरपंथी
शोएब चौधरी का कहना है कि पिछले 11 महीनों में यूनुस सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव किए हैं. पुलिस, बॉर्डर गार्ड और कोस्ट गार्ड में 17,000 नए लोगों की भर्ती की है, जिनका बैकग्राउंट कट्टर इस्लामी है. उन्होंने अपने लेख में बताया है कि कैसे अपने धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए पहचान रखने वाला बांग्लादेश मोहम्मद यूनुस के शासन में इस्लामीकरण की तरफ बढ़ रहा है.
शोएब चौधरी ने बताया कि यूनुस सरकार में कई लोगों को बड़े पदों पर नियुक्त किया गया है, जो साधारण सैल्यूट भी नहीं कर पाते हैं, उनकी योग्यता सिर्फ यही है कि उनकी कट्टरपंथ पृष्ठभूमि है. इनको ट्रेनिंग दी जा रही हैं. यूनुस सरकार में हो रहे इन बदलावों से पता चलता है कि बांग्लादेश की सुरक्षा व्यवस्था में इस्लामीकरण हो रहा है.
बांग्लादेश में पाकिस्तान और तुर्किए भी एक्टिव
बांग्लादेश के इस्लामीकरण में पाकिस्तान और तुर्किए भी मदद कर रहे हैं. एक तरफ पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई है तो दूसरी तरफ तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन का भी प्रभाव बांग्लादेश में बढ़ रहा है.
इसी महीने बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम एनजीओ के एक समूह की मेजबानी की, जिसे लेकर मोहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया पोस्ट किया और साफतौर पर लिखा कि इस मीटिंग का मकसद मुस्लिम दुनिया को एकजुट करना है.
एर्दोगन का भी बढ़ रहा प्रभाव
मीटिंग में तुर्किए, पाकिस्तान, मलेशिया और इंडोनेशिया के इस्लामी संगठन शामिल हुए थे. उधर, तुर्किए का भी प्रभाव बांग्लादेश में बढ़ रहा है. तुर्किए के रक्षा उद्योग सचिव ने बांग्लादेश के सेना प्रमुख से मुलाकात की, जिसमें तुर्किए ने बांग्लादेश को साथ मिलकर सैन्य उपकरण बनाने का प्रस्ताव दिया था. इसे न सिर्फ बांग्लादेश में बल्कि दक्षिण एशिया में एर्दोगन की विचारधारा को फैलाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.