भारत में इतिहास की पढ़ाई सिर्फ घटनाओं को जानने तक सीमित नहीं रही. उसे कैसे पढ़ाया जाए यह भी अक्सर विवाद का विषय रहा है. खासतौर पर मुगलों को लेकर स्कूली किताबों में अक्सर बदलाव होते रहे हैं. कभी मुगलों को भारत का गौरवशाली शासक वर्ग बताया गया. तो कभी विदेशी आक्रमणकारी के रूप में दिखाया गया है. अब एक बार फिर किताबों की भाषा और नजरिया दोनों बदल दिए गए हैं.
एनसीईआरटी की 8वीं क्लास की नई किताबों में बाबर, अकबर और औरंगजेब के बारे में जानकारी को नए तरीके से पेश किया गया है. कुछ चीजें हटाई गई हैं और कई नई बातें जोड़ी गई हैं. एनसीईआरटी की किताबों में अब तक मुगलों को लेकर क्या-क्या बदला गया है. चलिए आपको बताते हैं इस बारे में जानकारी.
इन चीजों में हुआ है बदलाव
एनसीईआरटी की 8वीं कक्षा की सोशल साइंस की किताब में मुगलों से जुड़ी कई अहम बातें बदली गई हैं. अब बाबर को क्रूर और निर्दयी शासक के तौर में दिखाया गया है. पहले उसे सिर्फ मुगल साम्राज्य का संस्थापक बताया जाता था. अकबर के बारे में नई किताब में लिखा गया है कि वह क्रूरता और सहिष्णुता का अजीब सा मिश्रण था. जबकि पहले उसे उदार शासक और धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल के रूप में दिखाया जाता था.
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वहीं औरंगजेब को अब मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने वाला शासक बताया गया है. जबकि पहले किताबों में सिर्फ उसकी धार्मिक नीतियों का जिक्र था. इसके अलावा बाबर की भारत में सत्ता विस्तार की कहानी को भी और अधिक आक्रामक अंदाज में पेश किया गया है. कुल मिलाकर किताबों में मुगलों की छवि बदलने की कोशिश साफ नजर आती है. इस बदलाव को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
नई शिक्षा नीति के तहत हुए बदलाव
नई किताबों में उस दौर के भारत का धार्मिक माहौल भी अलग अंदाज में पेश किया गया है. मंदिरों और शिक्षा केंद्रों पर हुए हमलों का जिक्र किया गया है. गांवों की लूट और सैन्य अभियानों की बातें भी साफ लिखी गई हैं. बाबर, अकबर और औरंगजेब को लेकर खास शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. जिससे उनकी छवि काफी बदलती नजर आती है.
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हालांकि किताब में एक अहम बात यह भी जोड़ दी गई है कि इतिहास की किसी भी घटना के लिए आज के समय में किसी को दोष देना सही नहीं है. एनसीईआरटी ने यह बदलाव नई शिक्षा नीति 2020 के तहत किया है. ताकि छात्रों को तथ्यों के साथ घटनाओं के पीछे का नजरिया भी समझाया जा सके. यह बदलाव शिक्षा व्यवस्था में बड़ा असर डाल सकता है.
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