India Economy: भारत की इकोनॉमी एक ऐसे दौर में कदम रखने जा रही है, जिसे अर्थशास्त्री अक्सर ‘गोल्डीलॉक्स’ कहते हैं. यानी कि जब महंगाई काबू में रहे और लगातार विकास होने का क्रम बना रहे. ‘गोल्डीलॉक्स इकोनॉमी’ बच्चों की कहानी ‘गोल्डीलॉक्स एंड द थ्री बेयर्स’ से लिया गया है, जिसमें गोल्डीलॉक्स दलिया के तीन कटोरे आजमाती है, एक बहुत गर्म, एक बिल्कुल ठंडा और एक न बहुत ठंडा और न ज्यादा गर्म, गोल्डीलॉक्स उसे ही खा जाती है.
भारत की इकोनॉमी भी अभी कुछ ऐसी ही है, न तो ज्यादा गर्म और न ज्यादा ठंडा. एक स्थिर आर्थिक विकास जो मंदी को रोक रहा है, लेकिन उतना भी नहीं कि महंगाई काफी बढ़ जाए. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी सरकार के साथ-साथ सोची समझी मौद्रिक और राजकोषीय नीति के जरिए इकोनॉमी को बैलेंस करता नजर आ रहा है. हाल ही में 15 जुलाई को RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के बयान और महंगाई के आंकड़े भारत के गोल्डीलॉक्स पीरियड के और सुनहरे होने के संकेत दे रहे हैं.
अनुमान से काफी कम हुई महंगाई
जून 2025 में रिटेल महंगाई 2.1 परसेंट रही, जो पूरे साल के लिए रिजर्व बैंक के पहले लगाए गए अनुमान 3.7 परसेंट से काफी कम है. अप्रैल-जून तिमाही के लिए औसत महंगाई 2.7 परसेंट रही, जो रिजर्व बैंक के लगाए गए 2.9 परसेंट के अनुमान से कम है. अगर यही क्रम बना रहा, तो जुलाई में महंगाई 2 परसेंट से नीचे आ सकती है और सालभर में यह 3 परसेंट के करीब आ सकती है. इस दौरान खाने-पीने और ईंधन की कीमतें कम हुई है, सप्लाई चेन में सुधार हुआ है इसलिए आगे मॉनिटरी पॉलिसी में कुछ ढील दी जा सकती है.
रेपो रेट को लेकर गवर्नर ने कही ये बात
RBI गवर्नर ने कहा है कि अगर महंगाई और ग्रोथ दोनों में नरमी जारी रही, तो रेपो रेट में कटौती करने का विचार किया जा सकता है. इससे पता चलता है कि महंगाई पूरे साल के लिए लगाए गए 3.7 परसेंट के अनुमान से नीचे आ सकती है. रिजर्व बैंक ने पहले फरवरी, फिर अप्रैल और उसके बाद जून में रेपो रेट में कटौती की है. अब लोगों को अगस्त में होने वाली MPC की बैठक में रेट कम होने की उम्मीदें हैं, लेकिन महंगाई को लेकर सामने आए नए आंकड़े एमपीसी को दोबारा सोचने के लिए मजबूर करती है.
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