ईरान से तनाव के बीच अमेरिका और बहरीन ने शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा में सहयोग के लिए एक अहम समझौता किया है. इस समझौते पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और बहरीन के विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल लतीफ बिन राशिद अल जयानी ने साइन किए.
इस समझौते का नाम सिविल न्यूक्लियर कोऑपरेशन मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (NCMOU) है, जिसका मकसद है परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में एक-दूसरे का साथ देना, ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ाना.
अमेरिका और बहरीन पहले से ही सुरक्षा, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में एक-दूसरे के करीबी साझेदार हैं. नया समझौता दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत बनाएगा. इसमें परमाणु सुरक्षा, तकनीक का सुरक्षित इस्तेमाल और परमाणु हथियारों के फैलाव को रोकने जैसे पहलुओं पर खास ध्यान दिया गया है. यह समझौता अमेरिका और बहरीन के बीच मजबूत रणनीतिक संबंधों को स्थापित करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल में विकसित की गई एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल का हिस्सा है. इसका उद्देश्य अमेरिकी उद्योग और कार्यबल को वैश्विक मंच पर अवसर दिलाना भी है.
तकनीक और ट्रेनिंग में मदद करेगा अमेरिका
अमेरिका और बहरीन के बीच हुए इस समझौते के तहत वॉशिंगटन, मनामा को न्यूक्लियर रिसर्च, टेक्नोलॉजी, सुरक्षा मानकों और विशेषज्ञ ट्रेनिंग में सहयोग देगा. बहरीन ने साल 2060 तक खुद को कार्बन न्यूट्रल बनाने का जो लक्ष्य रखा है, यह डील उस दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.
SMR: बहरीन के लिए क्लीन एनर्जी का कॉम्पैक्ट विकल्प
बहरीन जैसे छोटे देश के लिए स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) बेहद कारगर साबित हो सकते हैं. ये रिएक्टर कम जगह लेते हैं, कम खर्चीले होते हैं और ऑपरेशन में आसान हैं. यूएई की तरह बहरीन भी विदेशी विशेषज्ञों की मदद से SMR आधारित ऊर्जा उत्पादन की तैयारी कर रहा है.
निवेश के साथ तकनीकी साझेदारी भी गहरी
इस न्यूक्लियर सहयोग के साथ-साथ बहरीन ने अमेरिका में 17 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा भी की है. यह निवेश एविएशन, तकनीक और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा. इसके अलावा एक 800 किलोमीटर लंबी सबमरीन फाइबर ऑप्टिक केबल परियोजना की भी योजना है, जो बहरीन को सऊदी अरब, कुवैत और इराक से जोड़ेगी.
मजबूत हो रहे हैं बहरीन-अमेरिका के रिश्ते
बहरीन और अमेरिका के रिश्ते सिर्फ ऊर्जा तक सीमित नहीं हैं. अमेरिकी नौसेना की Fifth Fleet का मुख्यालय भी बहरीन में है. दोनों देशों के बीच पहले से ही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और अब्राहम अकॉर्ड्स जैसे कई समझौते लागू हैं. अब यह न्यूक्लियर डील इन रणनीतिक रिश्तों को और मजबूती देने का काम करेगी.
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