दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में करीब एक दशक से फरार चल रहे शातिर ठग अरुण शर्मा को अरेस्ट कर लिया. पुलिस के मुताबिक आरोपी साल 2014 के धोखाधड़ी के एक मामले में वांटेड था और साल 2015 में उसे कोर्ट के द्वारा भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया था. पुलिस के अनुसार आरोपी अपनी पत्नी के साथ पिछले 12 सालों से फरार चल रहा था.
पुलिस के मुताबिक साल 2014 में आर्थिक तंगी में फंसे अरुण शर्मा ने अपने रोहिणी सेक्टर 16 में बने मकान को 65 लाख रुपए में बेचने का समझौता किया था. उसने खरीदार से 15 लाख रुपए एडवांस भी ले लिए. लेकिन बाद में वही संपत्ति किसी और को बेचकर अपनी पत्नी के साथ फरार हो गया.
भगोड़ा कर दिया गया घोषित
पुलिस के मुताबिक मकान उसकी पत्नी के नाम पर था और बिक्री का रजिस्ट्री भी उसी के नाम से हुई थी. शिकायतकर्ता जितेंद्र ढींगरा ने जब इस ठगी का खुलासा किया तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 406 ,420 और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की. पुलिस जांच के दौरान आरोपी और उसकी पत्नी दोनों फरार पाए गए इसके बाद उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया.
इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और खुफिया जानकारी से मिली जानकारी
दिल्ली पुलिस के द्वारा इस मामले में आरोपी को पकड़ने के लिए टीम का गठन किया गया. जो कई दिनों से आरोपी की तलाश कर रहे थे. इसी बीच दिल्ली पुलिस की टीम को इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और मैनुअल इंटेलिजेंस के जरिए पता चला कि आरोपी लंबे समय तक गुजरात के वडोदरा में छुपा रहा. और हाल ही में दिल्ली लौटा है. दिल्ली पुलिस ने सूचना के आधार पर दिल्ली के कृष्ण विहार स्थित उसके संभावित ठिकाने पर छापेमारी की और आरोपी अरुण को गिरफ्तार कर लिया.
आरोपी ठग का आपराधिक इतिहास
राजस्थान के रहने वाले अरुण शर्मा ने दिल्ली के करोल बाग स्थित टैंक रोड पर रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाई थी. आर्थिक संकट के चलते उसका बिजनेस ठप हो गया और वह कर्ज में डूबता चला गया. धीरे-धीरे उसने ठगी का रास्ता अपना लिया. पुलिस के मुताबिक गुजरात में भी वह ठगी की कई वारदातों में शामिल रहा और वहां की पुलिस भी उसकी तलाश कर रही है.
पत्नी भी मामले में है आरोपी
दिल्ली पुलिस के मुताबिक अरुण की पत्नी भी ठगी की साजिश में बराबर की साझेदार रही है और उसे भी भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. पुलिस अब उसकी गिरफ्तारी की दिशा में काम कर रही है.